दस तस्वीरों में देखें मौत की बेरहमी: हादसे में एक ही परिवार के दस लोगों की गई जान, काल के गाल में ये मासूम भी समा गए
असम हाईवे पर बृहस्पतिवार सुबह करीब चार बजे बड़ा हादसा हुआ। हरिद्वार से लखीमपुर खीरी के गोला लौट रही पिकअप चालक को झपकी आने से पेड़ से टकरा गई। इस भीषण सड़क हादसे में एक परिवार के 10 लोगों और चालक की मौके पर मौत हो गई। यह सभी हरिद्वार में गंगा स्नान करने गए थे। मरने वालों में तीन महिलाएं और चार बच्चे भी हैं। सिपाही देवेश चौधरी और होमगार्ड निरंजन ने बताया दो घायलों के पैर गाड़ी के डैश बोर्ड और पेड़ के बीच फंस गए थे। इन्हें क्रेन के आने पर ही सुरक्षित निकाला जा सका।
लखीमपुर खीरी के थाना गोला गोकर्णनाथ के मोहल्ला तीर्थ निवासी संजीव शुक्ला अपने परिवार और रिश्तेदारों को लेकर सोमवार की शाम पिकअप (टाटा एसीई) से हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए गए थे। गाड़ी गोला इलाके के ही गांव दत्तेली का दिलशाद (30) चला रहा था। वहां से सभी बुधवार शाम को लौट रहे थे।
सुबह चार बजे जब पिकअप गजरौला थाना क्षेत्र में असम हाईवे पर पहुंची तो दिलशाद को झपकी आ गई और गाड़ी अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। इससे संजीव की मां सरला देवी (55), पुत्र हर्ष (12), पुत्री खुशी (दो) बड़े भाई श्यामसुंदर शुक्ला (40), उनके छोटे भाई कृष्णपाल की पत्नी रचना (27) भतीजे शशांक (11), आनंद (4) और चालक दिलशाद (35) की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि पत्नी लक्ष्मी (28) और संजीव के पिता लालमन शुक्ला (60) ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया। संजीव और उनकी भाभी शीलम, भाई कृष्णपाल, भतीजा प्रशांत, शाहजहांपुर के पुवायां इलाके के गांव अगोना खुर्द की पूनम पत्नी कृपाशंकर, उनके बेटे प्रवीण और रिशु घायल हो गए।
रात दो बजे भी डिवाइडर से टकराई थी गाड़ी
घायल कृष्णपाल ने बताया कि बरेली से पीलीभीत के बीच रात दो बजे चालक दिलशाद को झपकी आ गई थी। इससे पिकअप डिवाइडर से टकरा गई। इसके बाद मना करने के बावजूद वह रुका नहीं और मुंह धोकर गाड़ी चलाता रहा। बता दें कि जिम्मेदारों की लापरवाही से असम हाईवे खूनी बनता जा रहा है। कई बड़े हादसों में लोग जान गवां चुके हैं। प्रदेश सरकार भले ही सड़क हादसों में कमी लाने के लिए जिम्मेदारों को पाठ पढ़ा रही हो, मगर धरातल पर कोई ठोस काम दिखाई नहीं दे रहा है। फरवरी से अब तक 15 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
बृहस्पतिवार को जिस स्थान पर हादसा हुआ उससे कुछ पहले कटना नदी का पुल है। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हाईवे किनारे अगर गड्ढा नहीं होता तो शायद मरने वालों की संख्या इतनी नहीं बढ़ती, मगर इसको लेकर कोई देखने वाला नहीं। खास बात यह है कि हादसे के स्थान से पांच किलोमीटर के दायरे में लगातार हादसों में लोग जान गवां रहे है, मगर सुधारात्मक कार्य कोई नहीं हुआ।
13 फरवरी को दंपती की जान जा चुकी है, नौ अप्रैल को एक, 13 अप्रैल को एक, दो जून को एक व्यक्ति की मौत हो चुके है। इसके अलावा कई और हादसों में भी लोग इसी स्थल के आसपास जान गवां चुके हैं, मगर ओवर स्पीड और फुटपाथ की ओर कोई ध्यान नहीं है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की लापरवाही इन हादसों की बनी वजह बन रही है।